चुनावी मौसम
आज कल सभी को चुनावमे होते हुए देख रहा हूँ। तो सोचा की क्यो न मै भी आज चुनाव पर ही कुछ लिखू , ज्यादा तो समझ में नही आया की क्या लिखू , क्योकि मुझे ये समझ में नही आ रहा है की इस चुनाव में कौन किसके साथ है। मै बहुत अच्छी कविताये तो नही लिखता लेकिन इन हालातो में तो मुझे भी एक टूटी-फूटी कविता सूझ ही गई है।
लोकतंत्र के चुनावी मैदान में,
पार्टिया कर रही खेल ,
इंजन का कुछ पता नही ,
फ़िर भी दौडे गठबंधन रेल ,
सपा ,लोजपा, राजद का ,
समझ न पाए कोई खेल ,
लक्ष्य बनाये बी.जे.पी.को ,
दीवारे यु.पी.ऐ.की ठेल ,
बसपा का अंदाज़ निराला ,
वामपंथ से कर गई मेल,
किसके साथ में जाता ,
इसे समझाने में,
भेजे का निकला है तेल।
मैंने तो जो समझा वो लिख दिया ,आप भी लिखिए । मुझे तो इन पार्टियों का खेल नही समझ में आता अगर आप को समझ में आए ,तो मुझे भी समझा दीजिये । क्या आप मुझे समझायेंगे .
2 Comments:
पहले की तरह हारेगी जनता,
अभी विरोध आगे होगा मेल।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत बढिया लिखा है ...
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