दोहरा के बहाने
आज मैंने अपने शहर के सबसे व्यस्त चौराहों में से एक से गुज़र रहा था । मेरी नज़र एक चोटी मगर आसानी से दिखाई दे सकने वाली एक दुकान पर पड़ी जिस पर लिखा था, " जौनपुर का प्रसिद्ध विष्णु दोहरा "।
जौनपुर जिले के कमोबेश हर दोहरे का ब्रांड नाम किसी न किसी हिंदू देवता के नाम पर ही है , जैसे शंकर दोहरा , बजरंग दोहरा इत्यादि । दोहरे का प्रयोग सामान्यतः नशे के लिए ही किया जाता है। नशा कोई भी हो वह अच्छा नही होता , वह शरीर को नुकसान ही पहुचता है ।
ईश्वर के नाम पर लोगो की जिन्दगी से खेलने वाले लोगो पर धर्म के ठेकेदारों की नज़र क्यो नही पड़ती। जो चीस इंसानों को खा रही है , ये उन्हें क्यो नही रोकते इनकी नज़र हर बार महिलाओ के कपड़ो पर ही क्यो पड़ती है । क्यो हर बार ये संस्कृति के नाम पर प्रेमी युगलों पर चढ़ दौड़ते है।
मै धर्म के इन ठेकेदारों से सिर्फ़ इतना कहना चाहूँगा की संस्कृति के नाम पर लोगो को फिजूल में परेशां करना बंद करो । अगर किसी पर पाबन्दी लगनी है तो , देवताओ के नाम पर नशे का कारोबार करने वालो को रोको क्योकि ये इंसान को ख़त्म कर रही है ।
और संस्कृति इंसानों से बनती है , जब इंसान ही नही रहेंगे तब किस संस्कृति की रक्षा करोगे?
3 Comments:
दोहरा आप को अच्छा न लगे तो मत खाईये विक्रम जी मगर यह तो वहां की संस्क्रति से कुछ ऐसे ही जुदा है जैसे बनारस से पान ! हाँ जर्दा की मनाही जरूर होनी चाहिए !
दोहरे का नाम तो सुना है पर खाया नहीं।
dohra jaunpur ka prasaad hai kyonki sabdukaano per likha rahata hai ki shankar ka taja dohara.
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