अपनी धुन

मेरा मन कहता है

Wednesday, August 19, 2009

दिल्ली की जीवन रेखा

जी हाँ , मै बात कर रहा हूँ दिल्ली की जीवन रेखा यमुना नदी की , जिसका पानी इतना गन्दा काला और बदबूदार हो चला है कि, उसे नदी कहना मुश्किल ही पानी के रंग में तो ये, गंदे से गंदे नाले को भी मात देती हुई दिखती है।
बहुत पहले कहानियो में सुना था कि , यमुना में कालिया नाग घुस आया था, जिससे इसका पानी इतना जहरीला हो गया था कि लोग इसके किनारे पर पहुचते ही अचेत हो जाया करते थे। तब भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग को हरा कर यमुना जल को विषमुक्त किया था। क्या दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकार में वो इच्छाशक्ति है कि , वे कृष्ण कि भूमिका में आ सके , और यमुना में आ विराजे कलियुगी कालिया नाग को यमुना से भगा सके।
इस नदी को मै दिल्ली कि जीवन रेखा इसलिए कह रह हूँ, क्योकि सारी दिल्ली को इसी नदी का पानी साफ़ करके पेयजल के रूप में , यहाँ कि सरकार द्वारा दिया जाता है। ऐसे गंदे पानी को भी पीने के लायक बना देने के लिए, निसंदेह बधाई कि पात्र है,लेकिन यमुना कि इस हालत के लिए जिम्मेदार कौन है?
वो राज्य सरकारे जिनकी सीमाओ से होकर ये गुजरती है? या वहा के उद्योगों का कचरा? या हम ख़ुद जिन्होंने और लोगो को ये मौका दिया?
गंगा के बारे में सोचते हुए हम अन्य नदियों को भूलते क्यो जा रहे है, क्या अन्य नदीया उन स्थानों के लिए जीवनदायिनी नही है जहा से वो गुजरती है। कही ऐसा न हो हम सिर्फ़ गंगा - गंगा चिल्लाते रहे और अन्य नदीया भी सरस्वती कि तरह सिर्फ़ किस्सों में ही रह जाए। बेशक गंगा को बचना जरूरी है , लेकिन हमें अन्य नदियों का ख़याल रखना होगा।

1 Comments:

At August 20, 2009 at 5:16 AM , Blogger Udan Tashtari said...

निश्चित ही चिन्तनीय विषय है. अन्य नदियों की ओर भी ध्यान देना होगा.

 

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home