शिव सेना और राज का मराठी राग
राज ठाकरे और शिव सेना ने जो मराठी मानुस का मुद्दा पकड़ रखा है। खतरनाक होता जा रहा है , और महाराष्ट्र सरकार इस पर चुप्पी साध कर इसे और खतरनाक बना रहा है। आखिर सरकार चाहती क्या है।
खैर जो भी हो शिव सेना और मनसे के प्रदर्शनों में जो लोग गुस्साए हुए दिखते है , कही वो भी जम्मू - कश्मीर के पैसे लेकर पथराव करने वाले दलों जैसे तो नहीं है । इनको पकड़कर ये पूछना चाहिए कि ये ऐसा कर क्यों रहे है। शायद इन्हें पता ही न हो , और अगर ऐसा है तो इन लोगो को पकड़कर जेल में डालकर पुलिस कि थर्ड डिग्री से टार्चर करना चाहिए । तब शायद इनको अक्ल आ जाये । राज ठाकरे के साथ भी यही सलूक होना चाहिए । बाला साहेब ठाकरे तो गिरगिट जैसे बन बैठे है , पाकिस्तानी जावेद मियादाद के साथ फोटो खिचाकर चर्चा में आना वाजिब है, और पाकिस्तानी खिलाडियों के इन्डियन प्रीमियर लीग में खेलने कि शाहरुख़ की वकालत गैर वाजिब । ये कैसा दोहरापन है।
ठाकरे का कहना है की शाहरुख़ का बयान राष्ट्रविरोधी है , अगर एक पल के लिए ऐसा मान भी लिया जाये तो शाहरुख़ उनसे माफ़ी क्यों मांगे वो सारा राष्ट्र तो नहीं है। अगर शाहरुख़ ने कोई राष्ट्र विरोधी बयान दिया है तो ,वे राष्ट्र से माफ़ी मांगेगे राज और शिव सेना से नहीं, और मुझे शाहरुख़ की बात में कोई राष्ट्रविरोध नजर नहीं आता। खेल और राजनीति को अलग रखना ही सही है , पता नहीं राज,बाल और उद्धव ठाकरे ये बात कब समझेंगे ।
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