कभी तो आओ उजालों में
वो तुम थे या तुम्हारा एहसास,
कल रात तुम थे या था तुम्हारा ख्वाब,
कल रात तुम ही तो थे मेरे साथ,
काश कभी तुम मेरे साथ आते,
दिन के उजालों में जब मै होता हूँ होश में,
पर तुम तो आते हो मिलने हर रात में,
जब सो जाता हूँ और मिलता हूँ रात में,
और चले जाते हो सूरज के आते ही,
रह जाती है हर बात अधूरी,
क्योकि सपनो में बाते होती नहीं पूरी,
इसलिए तो कहता हूँ आओ कभी दिन के उजालों में,
क्योकि करनी है हर बात पूरी,
जो रात में रह जाती है अधूरी,
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