अपनी धुन

मेरा मन कहता है

Sunday, June 14, 2009

कैसे - कैसे नारे

इन दिनों मै अपने गाँव में हूँ सो यहाँ आने का मौका कम ही मिलता है फ़िर भी आज किसी तरह मै यहाँ ही गया सो आज कुछ नारे जैसे लगाने वाली तुकबंदिया लिख रहा हूँचूँकि आज कल गाँव के बच्चो की छुट्टियाँ चल रही है सो वे भरी दोपहर में आम के बगीचों को कुछ यू गुलजार करते है

- मार देब गोली केहू बोली , फेंक देब बम हो जईबा ख़तम

- चलती गाड़ी रोक दो बल्लम लेकर भोक दो , खून बहेगा पोछ दो , मर जाए तो फेंक दो

-इनरवा में गोली टनाटन बोली .......................................

-आईजा कबड्डी उठा पहाड़ बुढवा बानर बाप तोहार।

५- गुल्ली हेरान डंडा रोवत बा , गुल्ली के माई पूरी पोवत

भइया मुझे तो बड़ी मजा आती है , इनका खेल देख कर और इनके उदघोष सुनकर अगर आप गाँवो में रहे है तो , जरूर इस चीज का मजा लिया होगाअरे ! ये क्या