अपनी धुन

मेरा मन कहता है

Sunday, May 24, 2009

मै बेवकूफ हूँ?

आज अपने साथियों के साथ एक प्रोजेक्ट वर्क में लगा हुआ था । हम कई लोग थे । कुछ लोग कं कर रहे थे तो कुछ बैठे - बैठे घास खोद रहे थे । मै भी उस वक्त घास खोदने वालो में शामिल था । बस यूं ही बातें चल रही थी , बिना मतलब की कचर -पचर किए जा रहे थे । की हाय रे मेरी किस्मत मेरी नज़र वह गिरे हुए एक सिम कार्ड पर पड़ गई । पहले ते ये हुआ की ये अपनी ही किसी साथी का है पर उसे एक मोबाइल में लगाकर चेक किया गया तो पता चला की मोबाइल में अब भी इन्सर्ट सिम का संकेत आ रहा था। सिम रेलिंस जीएसएम का था और हमने चेक किया था, सी .दी .ऍम .ऐ.के सेट सो उसे तो इन्सर्ट सिम बताना ही था बस यही बात मेरी समझ में नही आई और मैंने सोचा होगा किसी का पुराना सिम पड़ा हुआ । क्योकि हम जौनपुर के शाही किले में थे इसलिए यही बात मेरी समझ में सबसे पहले आई। और बातो ही बातो में मैंने उसे तोड़ दिया। खैर कुछ देर बाद जब हमारे कं करते हुए साथी लौटे तो उनमे से एक ने वह पर कोहराम सा मचा दिया की मेरा सी किसने तोडा । तो मैंने कहा की ये तो मैंने ही तोडा है। पर मुझे क्या पता की ये तुम्हारा है, ये तो फेका हुआ था । तो उसने कहा की फेका हुआ नही गिर गया था। और उसके बाद मेरी तारीफ सब ने कुछ इस तरह की
- बेवकूफ चंद
- एक पैसे की अक्ल नही है , तुम्हारे पास
- जलते तुम मुझसे की मेरे पास दो -दो सिम है
-महामूर्ख हो तुम
अब मै क्या करू मेरे पास कोई जवाब नही था । मईअपनी सफाई में बस इतना कहूँगा जिन शब्दों से मुझे नवाजा गया , उनमे से जलने वाली बात छोड़कर बाकि सब मेरे लिए बिल्कुल सत्य है। और एक बात और महा मुर्खता या मेरी बेवकूफी बस इतनी सी है , की मेरी नज़र उस सिम पर पड़ गई। काश मेरी नज़र उस पर न पड़ी होती तो मुझे इतने अलान्करानो से नवाजा नही गया होता। हे ऊपर वाले ये तूने क्या किया......................................................क्यो मेरी नज़र उस कार्ड पर पड़ी।

Thursday, May 21, 2009

अब आएगा मज़ा

लो भइया अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी महिला सत्तात्मक समाज की नींव डाल दी है। अरे पुरुषों अब तो चेतो और महिलाओ को उनके अधिकार देने में कोताही न बरतो नही तो वह दिन दूर नही , जब हम उनसे अपने अधिकारों की बात करेंगे तो , वे भी हमारे साथ वैसा ही बर्ताव करेंगी, जैसा आज हम कर रहे है।
अब इस दोखे से बाहर आइये और देखिये आज की महिला को अपना जीवन यापन कराने के लिए पुरुषों की ज़रूरत नही है आज ये पूरे विश्वास के साथ अपनी सफलता की राह में आगे बढ रही है । आज ये अपनी मंजिले ख़ुद अपने बूते पर पा रही है । इन्हे कोई जरूरत नही है की कोई इनकी मदद को आगे आए ।
इनके आत्मविश्वास की बानगी तो देखिये की पिछले हफ्ते में दो लड़कियों ने अपनी बाराते वापस लौटा दी। एक ने ज्यादा दहेज़ की मांग पर बारातियों को बिना दुल्हन के विदा किया तो दूसरी ने दुल्हे के शराब पीने पर उन्हें बैरंग वापस कर दिया। अरे मर्दों चेत जाओ एक तो जनसँख्या में वे कम है , और अगर ये इसी तरह अपनी बरते लौटती रही तो जिन्दगी भर कुवारे रह जाओगे।
ऐसा नही है की लड़की द्वारा बारात लौटाए जाने की ये घटनाएं पहली बार हुई है। बेशक ऐसा पहले भी हो चुका है , लेकिन अबकी बात दूसरी है । अबकी तो सुप्रीम कोर्ट भी उनके साथ आकार खड़ा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने तो ये बात समझ ली है, की आने वाला समय महिलाओ का है । इसिलए वह महिलाओ के साथ खड़ा हो गया है।
आप कब समझेंगे?