अपनी धुन

मेरा मन कहता है

Wednesday, July 29, 2015

कलाम का जाना........

डॉ. अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम पूरा नाम था उनका, दो दिन पहले चले गए। पूरा देश रोया क्या हिन्दू , क्या मुसलमान, क्या सिख, क्या ईसाई । सारे भेद खत्म हो गए, कम से कम उस एक पल के लिए जब, कलाम गए। अपने जीवन में पहली बार पहली बार हिंदुस्तानी का हिंदुस्तान देखा। कम से कम उस पल के लिए जब कलाम चले गए। सोचता हूँ क्या हिंदुस्तान में ऐसा पहले कभी हुआ है? सुना की हां हुआ है, जब बापू गए थे तब,  उस वक़्त भी पूरा हिंदुस्तान रोया था।
बापू ने तो नए भारत की नींव रखी थी, इसलिए भारत रोया था। कलाम ने ऐसा क्या किया की आज भारत उनके जाने पर रो रहा है। कुछ मिसाइलें ही तो बनायीं, परमाणु शक्ति संपन्न ही तो किया है, इस देश को। क्या इसलिए देश रो रहा है।
शायद नही, देश रो रहा है की उनके कारण ही आज हमारे देश को विश्व मंच पर गंभीरता से लिया जाता है।
चीन आज क्यों सीधे हमला करने से कतराता है। अमेरिका आज दक्षिण एशिया में अपने कदम जमाने के लिए भारत के साथ अच्छे सम्बंधों का हामी क्यों है। क्योंकि आज भारत  दक्षिण एशिया में एक मजबूत राष्ट्र है, क्योंकि उसके पास परमाणु शक्ति है। आज भारत परमाणु शक्ति संपन्न क्यों है,क्योंकि कलाम थे। कलाम ने भारत को विश्व मंच पर उसकी आवाज़ दी। इसलिए भारत रोता है।
एक बात और बापू की हत्या हुयी थी, क्योंकि इतना कुछ करने के बाद भी कुछ लोग थे जो नाराज थे उनसे।
पर ऐसा कुछ भी नही हुआ जब कलाम गए। कोई भी उनसे नाराज़ नही है, बस सब नैनों में नीर हैं जब कलाम गए।