ख़बर है जी
हाँ ,तो आज कल कुछ अजीब सी ख़बरे आ रही। ख़बर है कि काशी हिंदू विश्वविधालय ने रैंगिग के आरोपी छात्रों को उनके वकील कि इस दलील पर छोड़ दिया कि, आरोपित छात्र सभ्यघरो के है। और जेल में रहने से उनकी मनस्थित पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। खैर उन वकील साहब का काम ही यही है कि, गलत को सही और सही को गलत साबित करना। लेकिन बी.एच.यू.के पदाधिकारियों को तो सही बात का भान होना चाहिए। जिसने कानून तोड़ने का काम सिर्फ़ अपने मनोरंजन के लिए किया है। वो किस आधार पर सभ्य है। क्या बी.एच.यू.प्रशासन समझायेगा ? मै ये नही कह रहा कि, उन लड़कों को कोई ऐसी सजा दे दो कीउनका कैरियर ख़राब हो जाए , पिछले दिनों ऐसे ही मामले में इलाहबाद यूनिवर्सिटी के कुलपति ने रैंगिग के दोषी एक छात्र को अंग्रेजी साहित्य की एक किताब ट्रांसलेट करने की सज़ा दी। लेकिन इस यूनिवर्सिटी ने तो एकदम से छोड़ दिया। ये ग़लत है, सिर्फ़ शौक के लिए कानून तोड़ने वाले को सज़ा तो मिलनी ही चाहिए जैसे इलाहाबादी छात्र को मिली वैसी ही सही।
और दूसरी ख़बर है कि, प्रो.मटुकनाथ भी अपना ब्लॉग लिखेंगे अब वो क्या लिखेंगे ये तो उनके लिखने के बाद ही पता चलेगा शायद कोई नया प्रेम ग्रन्थ , या कुछ ऐसा -अपनी छात्र से इश्क कैसे करे,या फिर -मेरा पहला-पहला प्यार , या मटुक और जुली -ऐ लव स्टोरी , जो भी हो जब से उन्हें दुनिया ने पूछना छोड़ दिया है,वो ख़ुद को खबरों में लाने के लिए कुछ न कुछ करते ही रहते है,ओःले लोक सभा चुनाव और अब ब्लॉग , लोक सभा चुनाव में तो वो असफल रहे । अब ब्लॉग लेखन में वो कितने सफल होंगे ये तो भविष्य के गर्त में है।
चलिए अब आप इन खबरों पर मंथन करिए या इनका लुत्फ़ उठाइए मै तो अपनी बात कह चुका, राम-राम जी